खोकर उन्हें, फिर हमसे किसी को पाया न गया |
टूटा जो ख्वाब, फिर पलकों पे कुछ सजाया न गया ||
छोटी सी फुहार, बाढ़ बनके निकली आँखों से
होकर जुदा उनसे, फिर हमसे मुस्कुराया न गया ||
By- Raghav Singh